सोने का नियम | sone ka sahi tarika kya hai

 सोने का सबसे अच्छा तरीका 
हमें कैसे सोना चाहिए ?




दोपहर में ज्यादातर बायें तरफ (वामकुक्षी) होकर लेटना चाहिए। खाना • खाने के बाद 10 मिनट वज्रासन में जरूर बैठें। दोपहर में जरूरी है और रात में टहल सकते हैं।

विश्राम करते समय सिर सूर्य की दिशा में हो तो सबसे अच्छा है। सोते हुये साँस लेते समय पेट फुलना और पचकना चाहिए। काम करते समय हमेशा छाती से साँस लेनी चाहिए। रात में हमेशा सीधे सोना चाहिए, पीठ नीचे, पेट ऊपर। बच्चों के सोने की स्थिति बहुत अच्छी होती है। कोई मजबूरी होने पर सिर दक्षिण दिशा में करके सोयें अन्यथा नहीं। उत्तर में सिर करके कभी न सोयें। सोने के लिए उत्तर की दिशा मृत्यु की दिशा है।

जिन्हें नींद नहीं आती उन्हें सबसे पहले दाहिनी तरफ लेटना चाहिए। चन्द्रनाड़ी सक्रिय है तो नींद बहुत अच्छी आयेगी। हाथ हमेशा छाती और पेट के जंक्शन पर होना चाहिए। उठते समय कभी भी बायीं तरफ से नहीं उठना चाहिए। हमेशा दाहिनी तरफ से उठना चाहिए।

मासिक धर्म में कैसे सोना चाहिए ?

मासिक चक्र के समय स्त्रियों को 3-4 दिन तक पेट के बल सोना चाहिए। मासिक चक्र के समय गर्भाशय फैलने की कोशिश करता है। इसलिए पेट के बल सोने से गर्भाशय नहीं फैल सकता है। मासिक चक्र के समय मगर आसन में सोना महिलाओं के लिए अच्छा होता है।

60 वर्ष से अधिक के लोगों को सीधे लेटकर एक पैर के ऊपर दूसरा पैर रखकर सो सकते हैं।

पेट के बल सोने से हार्निया होने की संभावना अधिक होती है। एपेन्डिक्स भी हो सकता है। प्रोस्टेट की समस्या आ सकती है

पढ़ना-लिखना या कोई भी अभ्यास करना है तो उत्तर की दिशा सबसे अच्छी है।

पृथ्वी और शरीर के बीच एक बल काम करता है जिसे हम गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं। गुरुत्वाकर्षण बल के लिए पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव और पृथ्वी का दक्षिणी ध्रुव ये दोनों सबसे ज्यादा तीव्र होते हैं तथा एक चुम्बक की तरह काम करते हैं।

चुम्बक के दो सिर होते हैं, उत्तर और दक्षिण। शरीर का उत्तर सिर और दक्षिण पैर है अर्थात सिर उत्तर की दिशा में होने पर प्रतिकर्षण बल काम करेगा जिससे शरीर में संकुचन आयेगा। इससे रक्त में भी दबाव पड़ेगा। जिसके कारण नींद ठीक प्रकार से नहीं आयेगी। हृदय की गति भी तेज होगी। इसी का उल्टा करने पर यानी सिर दक्षिण में और पैर उत्तर में करके सोने पर आकर्षण बल काम करेगा और आपके शरीर को खींचेगा जिसके कारण शरीर को आराम मिलेगा और नींद अच्छी आयेगी। ऐसा करने से ज्यादातर मानसिक रोगों में लाभ मिलता है।

पूर्व दिशा न्यूटूल है यहाँ न तो आकर्षण बल काम करता है और न ही प्रतिकर्षण बल काम करता है और यदि है भी तो संतुलित अवस्था में है। सोने के लिए पश्चिम दिशा पर अभी तक ज्यादा कुछ स्पष्ट जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। गृहस्थ लोगों के अतिरिक्त सभी लोगों को पूर्व दिशा में सिर करके सोना चाहिए और सभी गृहस्थ लोगों को दक्षिण दिशा में सिर करके सोना चाहिए।




जिन बच्चों की लम्बाई उनकी उम्र के हिसाब से नहीं बढ़ रही है, ऐसे बच्चों को दक्षिण दिशा में सिर करके सुलाना चाहिए। 4-5 सालों में लम्बाई सामान्य हो जायेगी।

शारीरिक श्रम करने वालों को कम से कम 8 घण्टे सोना चाहिए जो शारीरिक श्रम नहीं करते उनको 6 से 6:30 घण्टे सोना चाहिए।

गृहस्थ को छोड़कर सभी को सोते समय सिर पूर्व दिशा में रखें। गृहस्थ को • दक्षिण दिशा में सिर रखना चाहिए।

पीठ के बल सोना सबसे अच्छा होता है। दोपहर में भोजन के बाद लेटने के लिए बांयी तरफ (वामकुक्षी) होकर लेटना सबसे अच्छा है। कम से कम 10 से 15 मिनट, इसके बाद थोड़ी देर दाहिनी तरफ 5 मिनट से 10 मिनट, इसके बाद सीधे सो जाना चाहिए। रात में सोते समय 10 से 15 मिनट पहले दाहिनी तरफ लेटना चाहिए। इसके बाद बायीं तरफ (वामकुक्षि) 10 से 15 मिनट पीठ के बल सोना चाहिए।

चन्द्रनाड़ी का मतलब बांयी नाक, सूर्य नाड़ी का मतलब दाहिनी नाक जब बांयी नाक सक्रिय होती है तो दिमाग का या मस्तिष्क का बायां भाग सक्रिय होता है। उसी प्रकार जब दाहिनी नाक चलती है तो मस्तिष्क का दाहिना हिस्सा सक्रिय होता है। मस्तिष्क का दाहिना हिस्सा पचने की क्रिया से संबंधित है। इसके अतिरिक्त गाली देना, गुस्सा करना, मारा-मारी करना, किसी को जान से मार देना या किसी को अपमानित कर देना। इस तरह के जितने भी दुर्गुण हैं ये सब दिमाग के दाहिने हिस्से से संबंधित हैं। बायें हिस्से से प्रेम, वात्सल्य, अपनापन, सौहार्द, दूसरे के प्रति सम्मान की भावना है। इस प्रकार के जितने भी सद्गुण हैं ये सब मस्तिष्क के बांये हिस्से पांचन की क्रिया को मन्द करता है।

संध्या  भोजन के दो घण्टे बाद ही सोना चाहिए और इस दो घण्टे में खाना पाचन हो चुका होता है। अतः रात्रि का लेटना भोजन को पचाने के लिए नहीं होता है। इसलिए रात्रि में पहले दाहिनी तरफ सोना चाहिए।

जमीन पर कुश की चटाई बिछाकर सोना सबसे अच्छा है। सोते समय जमीन और शरीर के बीच न तो सुचालक स्थिति ही ज्यादा हो और न ही कुचालक स्थिति ही ज्यादा हो।

पत्नी के साथ सोते समय अथवा संभोग करते समय हमेशा दक्षिण दिशा में ही सोना चाहिए क्योंकि दक्षिण दिशा में उत्तरी ध्रुव (हमारे शरीर का उत्तरी ध्रुव मस्तिष्क है) और दक्षिणी ध्रुव पृथ्वी का दोनों के बीच आकर्षण बल काम करता है, जो कि संभोग के समय के लिए बहुत अच्छा माना गया है। अतः पत्नी के साथ जब भी सोये या संभोग की स्थिति हो तो दक्षिण दिशा में ही मस्तिष्क करके सोना चाहिए। 

ज्यादा से ज्यादा जमीन पर सोना शरीर के लिए सबसे अच्छा है। बस ध्यान इतना रखना है कि बिछावन पतले से भी पतला हो। जमीन पर सोना, जमीन पर बैठना, जमीन पर खाना और जमीन पर ही मरना शास्त्रों में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। अतः प्राण निकलते समय जमीन पर होना सबसे अच्छी मृत्यु माना गया है।
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