मूत्ररोगो की चिकित्सा
मूत्ररोगों के लक्षण
पेशाब में जलन
बार-बार पेशाब आना
मूत्राशय प्रदाह
बहुमूत्र
बच्चो और बुजुर्गो के मूत्ररोग
बच्चे बिस्तर पर पेशाब करते हैं तो खजूर खिलाइए छोटे-छोटे टुकड़े करके दूध में उबालें और फिर उसे पिला दें रात को सोते समय।
बार-बार पेसाब आना बुजुर्गों में ज्यादा पाया जाता है। रात में बार-बार जाना पड़ सकता है क्योंकि रिटेन्शन क्षमता (मूत्र को रोककर रखने की क्षमता) कम हो जाती है अर्थात मूत्र पिण्ड कमजोर पड़ जाता है।
पिण्ड खजूर को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटें फिर दूध में डालकर उसे खू उवालें और फिर सोने से पहले दूध को पी लें और खजूर चबाकर खा लें। खजूर एक दिन में लेना पर्याप्त है। एक से डेढ़ महीने में ठीक हो जायेंगे।
इसी से रात में पेशाब करने वाले बच्चों की भी समस्या का समाधान हो जात है। खजूर या छुआरा दोनों में से कोई भी चीज का प्रयोग कर सकते हैं।
प्रोस्टेट या एनलार्जमेंट की समस्या के लिए भी यही दवा काम आयेगी।
पेशाब रूक जाना
पेशाब रूक गया है। पेशाब रूकने से पेट फूलता जायेगा, जब तक पेशाब बाहर नहीं निकलेगा। यह बच्चों के साथ हो या किसी के भी साथ हो। Aconite 2001-1 बूंद 10-10 मिनट में 3 बार, जीभ पर डालना है। मूंग की दाल खायें।
बहुमुत्र- (बार-बार पेशाब आना)
बहुमूत्र रोग में बार-बार पेशाब आती है और थोड़ी-थोड़ी पेशाब आती है। बार-बार पेशाब जाने का मन करता है। यह रोग बच्चों तथा युवाओं को अधिक होता है और अधिकांशत: अनुवांशिक है। इस रोग में कब्ज, अपच, अधिक मूत्र आना और नींद न आना इस तरह की शिकायतें रहती हैं। रोगी प्रतिदिन कमजोर होता जाता है कमर और कमर के नीचे के हिस्सों में दर्द रहता है। इसके घरेलू उपाय निम्नलिखित है:
20 ग्राम काले तिल और 10 ग्राम अजवायन को मिलाकर पाउडर बना लें फिर इस पाउडर को 50 ग्राम गुड़ में मिलाकर सुबह-शाम 1-1 चम्मच प्रातः काल खाली पेट अदरक का रस 1 चम्मच लेने से बहुमूत्र की शिकायत सेवन करें।
दूर होती है। रात्रि विश्राम से पहले गाय के दूध में पकाये हुये 4 छुआरे खाने से बहुमूत्र के रोग में आराम मिलता है।
मूत्राशय प्रदाह (जलन)
इस रोग में मूत्राशय में दर्द होता है और बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होती है और पेशाब करते समय मूत्राशय में जलन और दर्द रहता है। कष्ट के साथ पेशाब आती है। इस बीमारी के घरेलू उपचार निम्नलिखित है: प्रतिदिन गाजर का रस पीने से जलन में आराम मिलता है।
5-6 ताजे आँवले का रस निकालकर उसमें शहद मिलाकर पीये।
त्रिफला चूर्ण का काढ़ा गुड़ मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
दो प्याज की गांठ को बारीक काटकर 1 गिलास पानी में उबालें पानी आधा रहने पर छानकर पियें।
अनार के छिलके का पाउडर बनायें। ताजे पानी से 1 चम्मच पाउडर दो-तीन बार प्रतिदिन सेवन करें। ककड़ी को बारीक काटकर और उसमें मिश्री मिलाकर सलाद के रूप में खाने से पेशाब का रोग खत्म होता है।
4 चम्मच मूली का रस जरा सा सेंधा नमक डालकर पियें