गठिया ,आर्थराइटिस , सन्धिवाद | gout

आर्थराइटिस ,गठिया क्या होता है ?

गठिया को जड़ से ख़त्म करने के उपाय 



 घुटने में गठिया का होना घुटनों का आर्थराईटिस भी कहलाता है। घुटनों में घटिया के कईं कारण होते हैं, वैसे घुटनों में दर्द मुख्यत:घुटने की हड्डी में लिंगामेंट की कमी और हड्डी कीघिसाई के कारण होता है। घुटनों का दर्द आम तौर पर50 या उससे अधिक आयु के लोगों को अपना शिकार बनाता हैऔर इस रोग के उन लोगों में होने की संभावना बहुत अधिक होती है जिनका वज़न ज़रुरत से ज्यादा होता है। यह ऐसा रोग है जो भावी पीढ़ी यानि आने वाली पीढ़ियों में भी जारी रहता है। 

 घुटनों की  गठिया में क्या होता है ?

जब घुटनों में लंबे समय तक दर्द बना रहे, घुटनों की मूवमेंट यानि घुटने हिलाने में दिक्कत हो और पैरों में तिरछापन महसूस होने लगे, तो ऐसी अवस्था को ही घुटने में गठियाहोना यानि ‘नी अर्थराइटिस’कहा जाता है ।

 घुटने में गठिया के क्या  कारण है ?

•  गठिए का खतरा

कभी-कभी घुटने के नीचले पैर की हड्डी, जिसे थाईबोन और शिनबोन कहते हैं, उनको जोड़ने वाली लिगामेंट और और टिश्यू यानि कोशिकाओं में चोट लगने की वजह से घुटने में गठिया होने की संभावना बढ़ जाती है । ठीक इसी प्रकार इन दोनों हड्डियों को जो जोड़ता है यानि कार्टिलेज, उसे भी चोट लग जाती है जिसकी वजह से गठिया होने का खतरा काफी अधिक बढ़ जाता है। शिनबोन हड्डी, जो घुटने की कटोरी को जोड़ती है, कभी-कभी उसमें फैक्चर की वजह से भी गठिया होने का खतरा बढ़ जाता है ।

घुटनों की  चोट

एम्स, दिल्ली के डॉक्टरों का कहना है कि घुटने पर किसी घाव या चोट लगने से घुटने के अंदर प्रैशर पड़ जाता है और जिससे घुटने की कार्यप्रणाली का संतुलन बिगड़ जाता है । जोड़ों पर ज्यादा दबाव के आने से कार्टिलेज को क्षति हो जाती है जिसकी वजह से गठिया की दिक्कत आरंभ हो जातीहै। घुटनों की बाहरी जोड़ों की ओर लगी पर लगी चोट से ऐसी दिक्कत नहीं होती ।

घुटनों में लगने वाली दूसरी चोटें

चिकित्सक और डॉक्टरों द्वारा लगातार हो रहे शोध में शामिल घुटने में गठिया वाले अधिकतर लोग, जिन्हें घुटने में चोट लगने से दिक्कत थी वे पुरुष निकले । लंदन की मेडिकल यूनिवर्सिटी में कईं साल लगातार कठिन प्रयोग और शोध के बाद यह पाया गया कि 400 लोगों में से लगभग 11 प्रतिशत लोगों को घुटने में गठिया की परेशानी हो गई। इस जांच में यह भी पाया गया कि सबके घुटने पर लगने वाली चोट भी विभिन्न प्रकार की थी। 22 प्रतिशत लोगों के घुटने में गहरी चोट थी। 18 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनके घुटने पर कटने से परेशानी थी और लगभग 18 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिन्हें घुटने के टिश्यू टूटने से समस्या थी।

जब रोग गंभीर अवस्था में पहुंच जाए, तो चलने-फिरने में दिक्कत होती है। यहां तक कि मरीज सिर्फ बिस्तर तक ही सीमित हो जाता है।


घुटने के गठिया के क्या है लक्षण ?

अगर घुटने में गठिया होना शुरु हो गया है तो आपको इसके लक्षण पहचानने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह आपको इसका आभास करा देंगे, परंतु अक्सर ऐसा होता है कि लोग इन लक्षणों का आभास होने के बावजूद इसे टाल देते हैं ।

अचानक से  घुटनों मे दर्द 

घुटने में गठिया होने के शुरुआती लक्षणों में व्यक्ति जब-जब ज़मीन या फर्श से उठने की कोशिश करता है या सीढियां चढ़ता या उतरता है, तो उसे अत्यधिक पीड़ा होती है, हो सकता है कि शुरुआत के दिनों में ये पीड़ा कम हो, लेकिन अगर इसका उपचार न हो, तो बहुत जल्द ये पीड़ा असहनीय हो जाती है । 

घुटनों में अकड़न और चलने में तकलीफ होना 

जब गठिया गंभीर स्टेज में पहुंच जाता है, तो व्यक्ति को चलने में भी परेशानी होने लगती है । व्यक्ति के घुटने अकड़ जाते हैं, पैर मूवमेंट नहीं कर पाते और अगर चल रहे हैं तो बेहद पीड़ा का अनुभव होता है ।

घुटनों में से आवाज़ आना

कईं बार लोग घुटने से आवाज़ आने की शिकायत करते हैं । अगर घुटनों से कट-कट जैसी आवाज़ आने लगे जो यह खतरे की घंटी है । इसे हल्के में मत लीजिए, यह गठिया का शुरुआती लक्षण हो सकता है ।


गठिया का इलाज (gout )
आर्थराइटिस का इलाज ( arthritis )

आर्थराइटिस में क्या खाना चाहिए 




अर्थराइटिस के मरीज को ऑपरेशन कभी नहीं कराना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को देख लें। ऑपरेशन कराने पर उनकी तकलीफ और ज्यादा बढ़ गई है।


अर्थराइटिस के मरीज 1 दिन में 2 चूना खा सकते हैं और स्वस्थ आदमी 1 ग्राम ही चूना खायें, दही के साथ, छाछ के साथ या पानी में मिलाकर।


मेथी दाना रात को गरम पानी में भिगो दें और सुबह उठते ही पानी पी लें और मेथी दाना चबा-चबा कर खा लें।


गाय के दूध में गाय का घी मिलाकर और थोड़ी हड़द मिलाकर हमेशा शाम को देना है |


मेथी + हल्दी सोंठ बराबर मात्रा में पीसकर पाउडर बना लेना है और 1 + चम्मच रोज सुबह खाली पेट कम से कम डेढ़-दो महीने तक लेना है।


सबसे क्षारिय है हार श्रृंगार का पेड़ या पारिजात के पेड़ के पत्ते, 5 से 7 पत्ते की पत्थर पर पीसकर चटनी बनानी हैं और 1 गिलास पानी में तब-तक उबालना है जब तक कि पानी आधा गिलास न हो जाय, उसके बाद इसे चाय की तरह रोज सुबह खाली पेट कुछभी खाने से 1 घण्टे पहले पीना है 15 से 20 दिन में बीमारी से आराम मिलना शुरू हो जायेगा। दोनों ही अर्थराइटिस (रिम्यूटेड और औस्टीयों) के केस में, 20-20 साल पुराना गठिया का दर्द इससे ठीक होता है। रात को बना लें, सुबह पिला दें, 3 महीने तक ।


कार्टीलेज और Rh फैक्टर की समस्याओं के लिए भी पारिजात के पत्ते का काढ़ा काम में आता है। हिप ज्वाइन्ट्स या नी ज्वाइन्ट्स निकालने की स्थिति आ गयी हो तो आज से यही दवा नियमित रूप से सेवन करें।


आइसक़ीम कभी न खाएं और यदि कभी मजबूरी में खा लिए तो ऊपर से गरम पानी में घी मिलाकर पी लीजिए। इससे आइसक्रीम का दुष्प्रभाव शरीर में कम होगा।


दालचीनी + सोंठ का काढ़ा गुड़ मिलाकर जरूर पियें जिनको भी अर्थराइटिस हो। यही अस्थमा के लोग भी पी सकते हैं। रोज सुबह कुछभी खाने से 1 घण्टे पहले सुबह-सुबह पिए 


मूगफली और तिल रोज खाएं, खाना खाने के बाद तिल और गुड़ जरूर खाएं, काला तिल मिले तो बहुत अच्छा होगा। खास कर उन लोगों के लिए जो अर्थराइटिस, अस्थमा, मोटापा और हृदयघात जैसे बीमारियों से बचना चाहते हैं। हड्डीयों के किसी भी रोग के लिए चूना खांए।


एडी का दर्द और कुहनी का दर्द पानी घुट-घुटकर पीने से ठीक हो जायेगा।
Post a Comment (0)
Previous Post Next Post