रतौंधी रोग किसकी कमी से होता है ?
रतौंधी से ग्रसित व्यक्ति को कम रोशनी व अंधेरे वाले स्थानों पर दिखाई नहीं देता। यहां तक की सामने रखी खाने की प्लेट भी नजर नहीं आती। अत्याधिक धुल, तीव्र प्रकाश और दुषित पर्यावरण के कारण रतौंधी होती हैं। इसमें रोगी को रात्रि में बिल्कुल नहीं दिखाई देता तथा दिन में ठीक दिखाई देता है।
रतौंधी रोग के किसके कारण से होता है
अनुवांशिक कारणों से या विटामिन ए की कमी के कारण।
कम पानी पीने या कुपोषण या शारीरिक कमजोरी के कारण।
किसी दुर्घटना या चोट के कारण ।
ज्यादा चमकदार रोशनी पड़ने के कारण।
रतौंधी के लक्षण
धुंधला नजर आना या पढ़ते समय आँखो पर जोर पड़ना । चीजों का
दोहरा दिखाई देना या आँखों से पानी गिरना।
रतौंधी का उपचार
रतौंधी रोग का आयुर्वेदिक इलाज
सफेद प्याज का रस आँखों में डालने से रतौंधी में लाभ होता है। देशी गाय का मूत्र आँखों में डालने से काफी लाभ होता है।
तुलसी के पत्तों का रस दिन में 3-4 बार आँखों में डालें।
सफेद प्याज का रस आँखों में डालने से रतौंधी में काफी लाभ होता है।
देशी गाय का मूत्र आँखों में डालने से काफी लाभ होता है।
हरे धनिये का रस आँखों में डालने से लाभ होता है।
आँखों में शुद्ध शहद लगाने से भी काफी आराम मिलता है।
प्रतिदिन रात्रि विश्राम से पहले त्रिफला चूर्ण का सेवन करें और रात्रि में भिगोये हुये त्रिफला के पानी से आँखों को धोयें।
बथुए के पत्तों का रस आँखों में डालने से रतौंधी ठीक होती है। दूब का रस आँखों में डालने से काफी आराम मिलता है।
करेले के पत्तों के रस में थोड़ा काली मिर्च पीसकर मिलायें और आँखो बाहरी हिस्सों पर लगायें। इससे बहुत आराम मिलता है