दमा (अस्थमा ) का रामबाण इलाज | asthma ka ilaj in hindi

 दमा ( अस्थमा  ) होने के कारण , लक्षण , एवं उपचार 



जब फेफड़ों में जकड़न एवं संकुचन होने के कारण साँस लेने में तकलीफ हो तो दमा की स्थिति कहलाती है। वायुमार्ग के संकरा हो जाने के कारण रोगी सामान्य रूप से सांस नहीं ले पाता। इस कारण उसको तेज खांसी आती है और सांस लेते समय आवाज भी आती है। ज्यादातर यह रोग अधिक उम्र के लोगों को होता है। धूल और धुआँ भरे महौल में रहने के कारण भी यह हो सकता है। प्रायः यह रोग अनुवांशिक होता है। अत्याधिक धुम्रपान करने वालों को भी यह रोग होता है। इसमें रोगी को साँस लेने में तकलीफ होती है यह तकलीफ कभी कम कभी ज्यादा घटती-बढ़ती रहती है। कभी-कभी खाँसी के साथ कफ निकलता है तो रोगी को आराम मिलता है। बलगम न निकले तो रोगी का हाल बेहाल हो जाता है। दमा दो प्रकार का होता है- बाह्य दमा और स्वाभाविक दमा।

दमा के प्रकार 

बाह्य दमा 

दमा प्रायः  यहबचपन में ही होता है। बच्चे को किसी खास वस्तु से एलर्जी होने के कारण सांस लेने में असुविधा होती है।

स्वाभाविक दमा 

यह दमा प्राकृतिक प्रदूषण के सम्पर्क में आने से ज्यादा होता है। यह लम्बे समय तक बना रहता है। और यह अनुवांशिक भी हो सकता है।

दमा ( अस्थमा  ) होने का कारण 

दमा ( अस्थमा  ) कैसे होता है ?

घर की धूल, मसाला या अनाज पीसते समय निकलने वाली गर्द या धूल से। 

रूई की धुनाई व बुनाई करते समय निकलने वाली धूल से। 

लकड़ी की रंदाई और पत्थर तथा मोजैक की घिसाई के समय निकलने वाली बारीक गर्द से।

पक्षियों के पंखों से बनी हुई रजाई, तकिये व अन्य कपड़े प्रयोग करने से।

 पेन्ट और बार्निश से या परफ्यूम का अत्यधिक उपयोग करने से।

धूम्रपान करने या धूम्रपान के सम्पर्क में रहने से।

कारखानों और मोटर वाहनों के धुंए से या भावनात्मक सदमें के कारण।

मधुमेह और हृदय रोग जैसे किसी गंभीर रोग के कारण।

दमा ( अस्थमा  ) होने के लक्षण 

दमा ( अस्थमा  ) को कैसे पहचाने ?

सांस लेने में असुविधा होती है या चलने में सांस फूलती है।

ठण्ड में परेशानी बढ़ती है या गले में सांय-सांय की आवाज आती है।

दमा ( अस्थमा ) का देशी इलाज 

अस्थमा की देशी दवा


दमा/अस्थमा के लिए दालचीनी को पाउडर बनाकर शहद के साथ लेना है। एक चौथाई चम्मच दालचीनी पाऊडर और एक चम्मच शहद मिलाकर खाली पेट सुबह उसे चाटिये और ऊपर से गुनगुना पानी पी लीजिए। 1/2 कप गौमूत्र रोज खाली पेट ले।

तेजपात के पत्तों का चूर्ण अदरक के रस के साथ लेने से दमें में काफी लाभ होता है।

प्रातः काल खाली पेट 3-4 चम्मच अदरक का रस शहद के साथ लेने से काफी आराम मिलता है।

तुलसी के पत्तों के साथ 2-3 काली मिर्च चबाने से रोग में आराम मिलता है।

अदरक के साथ नींबू का रस चूसने से भी आराम मिलता है।

नींबू का रस शहद में मिलाकर चाटने से दमा व खाँसी में आराम मिलता है।

जब दमे का दौरा पड़े उस समय जरा सी फिटकरी जीभ पर रखकर चुसने से तुरन्त आराम मिलता है।

रोगी की छाती को गर्म पानी के सेंकने से काफी आराम मिलता है।

श्वास फुलने के दौरान गर्म पानी पीने से आराम मिलता है।

सेंधा नमक और देशी गाय का घी मिलाकर छाती पर मलने से काफी आराम मिलता है।

हार सिंगार की छाल का चूर्ण पान के साथ खाने से दमा में काफी आराम मिलता है।

तुलसी और अदरक का रस बराबर मात्रा में शहद के साथ लेने से आराम मिलता है।



नोट: विक्स जहर है। इससे दमा, अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं। कानून के हिसाब से किसी भी दवा का विज्ञापन टी०वी० पर नहीं दिया जा सकता है। विक्स पेट्रालियम जेली से बनती है जो बाजार में 60 से 70 रुपये किलो मिलती है

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