हृदय रोग ( हार्ट अटैक ) का सम्पूर्ण निवारण | heart attack symptoms in hindi

 हार्ट अटैक ( दिल का दौरा) आने का कारण ,लक्षण एवं  अचूक इलाज



आजकल हृदय के रोग अत्यधिक बढ़ गये हैं। आजकल की जीवन शैली में, व्यापार में, घर में तनाव के कारण यह रोग अधिक होता है। हृदय में धमनियों द्वारा रक्त संचार बराबर मात्रा में नहीं होता। धमनियों में रूकावट के कारण ही यह रोग अधिकांश होता है। इसमें अचानक से हृदय में दर्द होता है। शुरू में यह दर्द धीरे -धीरे होता है तथा बाद में बढ़ता जाता है। दिल की धड़कन बढ़ जाती है। मनुष्य का दिल शरीर का एक छोटा अंग होता है। जो छाती के बीचो बीच हड्डियों के बने कवच पसलियों के बीच स्थित होता है। अधिक वसा के कारण हृदय की धमनियों में अवरोध पैदा हो जाता है जिससे रक्त का आवागमन रूक जाता है और दिल तक रक्त पहुँचने में बाधा उत्पन्न हो जाती है। रक्त का थक्का सा बनने लगता है। यही मनुष्य के लिए प्राणघातक हृदयघात साबित होता है।


कारण

मोटापा बढ़ने या हाई बी. पी. के कारण। ज्यादा आराम करने के कारण।

मधुमेह या लगातार गैस रहने के कारण।

धूम्रपान करने व शराब पीने के कारण।

अण्डा, मांस और डेरी प्रोडक्ट के अधिक उपयोग से। सामान्य नियम का पालन न करने से।

हृदय रोग  का रामबाण इलाज 

हृदय रोग में क्या खाना चाहिए 

हृदय रोग में क्या नही खाना चाहिए 

दिल का दौरा | हार्ट अटैक 

अगर हृदय में ब्लाकेज 70 प्रतिशत तक है तो सामान्य स्थिति है। 75 प्रतिशत, 80 प्रतिशत, 85 प्रतिशत होने की स्थिति में यह चिन्ता का विषय है। एन्जियोप्लास्टी बाल पेन जैसी स्प्रिंग को दवा लपेटकर आर्टरी में - डाला जाता है जिसका बिल लाखों में होता है। यह स्प्रिंग डालने के बाद कुछ समय के अन्तराल पर उसके आगे-पिछे फिर से कचरा जमा हो जायेगा। ब्लाकेज होने की टेन्डेंसी जब तक रक्त में रहेगी तब तक यह स्थिति हर बार आयेगी। आज का डॉक्टर जान भी लेता है और पैसा भी लेता है। एक आर्टरी में 2 से 3 एन्जियों हो पाती हैं इससे ज्यादा नहीं हो पाती हैं। इसके बाद बाइपास सर्जरी की स्थिति बनती है। इस स्थिति में मौजूदा आर्टरी के समानान्तर एक दूसरी आर्टरी बनायेगें और पहली वाली को बन्द कर देगें। टेन्डेन्सी बनने की स्थिति में इससे भी वही स्थिति बन जाती है। ये टेन्डेन्सी बनती है डालडा या रिफाइण्ड तेल खाने से क्योंकि इससे LDL और VLDL शरीर में बढ़ता है।

देशी गाय का घी खाने से खराब कोलेस्ट्राल नहीं बनता है। तेल जितना गाढ़ा होगा उतना अच्छा होगा तथा दूध जितना पतला होगा उतना अच्छा होगा।

छिलके वाली दाल और छिलके वाली सब्जियाँ अधिक खाने से केलोस्ट्रोल घटता है। खाना बनाते समय फलों और सब्जियों के छिलके कभी न उतारें क्योंकि इसमें प्रोटीन और फाइबर की मात्रा अधिक होती है। बिना पॉलिस किया हुआ चावल और दाल खाइये। रोटी मोटे अनाज की खाएं। जितना मोटा अनाज होगा हृदय रोग की दृष्टि से सबसे अच्छा होगा। मोटे अनाज में मक्का, बाजरा, ज्वार, गेहूँ, चना आदि आटा मोटा हो, छलनी से छानना नहीं चाहिए।

सारी क्षारीय वस्तुएं नियमित रूप से खाएं जैसे-आँवला, एलोविरा जूस, ऐलोविरा फ्रेश पत्ता काटकर, छीलकर सिर्फ गुद्दा चबाकर खाएं। 1 दिन में 10 से 15 ग्राम से ज्यादा नहीं। एलोविरा के छिलके पचाने योग्य नहीं है।

शरीर में ब्लाकेज बनाने की टेन्डेंसी है तो ब्लाकेज निकालने की भी टेन्डेंसी है। आपातकाल की स्थिति में 99 प्रतिशत मरीजों में अपने आप बाइपास होता है। भगवान ने शरीर की ऐसी व्यवस्था बनाई है कि हर एक आर्टरी के समानान्तर एक अतिरिक्त आर्टरी रहती है।

हार्ट फेल होने की स्थिति में ही यह अपने आप होने वाला बाईपास नहीं होता है। जब हृदयघात आये और एन्फाइना का दर्द बर्दास्त से बाहर हो उस समय होम्योपैथी दवा ACONITE-200 एक-एक बूंद तीन बार 5-5 मिनट के अन्तर पर जीभ पर डालने से तुरन्त 5 से 6 मिनट के अन्दर आराम मिलेगा।



छोटा मेथी दाना पीला-पीला होता है इसे नियमित रूप से काँच के गिलास में 1 चम्मच 1 गिलास गरम पानी में शाम को डालकर सुबह पानी पीना है और मेथी दाना चबा-चबाकर खाना है। बड़ा मेथी दाना अचार बनाने के काम आता है। 3-4 महीने लगातार देना है। इससे अधिक देने के लिए बीच में 15 से 20 दिन का अन्तर रखें। मेथीदाना खून से खराब कोलेस्ट्राल बाहर निकालता है।

लौकी का रस बिना छिलका उतारे हुये पीसकर निकलना है उसमें तुलसी, धनिया और पुदीना 5 से 10 पत्ते तीनों की चटनी बनाकर 1 कप लौकी के रस में (150 मि0ली0) डालकर सुबह खाली पेट लेना सबसे अच्छा होता है। दोपहर को भी ले सकते हैं, खाना खाने के तुरन्त बाद भी ले सकते हैं लेकिन शाम को नहीं ले सकते हैं। 2-4 काली मिर्च भी मिला सकते हैं। इसको पानी या कोई भी चीज लेने के 40 मिनट के बाद ही लेना है।

हॉर्ट की समस्या वाले लोग मक्खन न खाएं। हमेशा तरल चीजें पहले लेनी है और ठोस चीजें उसके बाद लेनी है।

आधा चम्मच अर्जुन की छाल के पाऊडर में शहद या गुड़ मिलाकर गुनगुने पानी के साथ ले सकते हैं।

कोलैस्ट्राल की अधिक बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है या बहुत धीमे-धीमे जाता है या जाता ही नहीं है या खून के नीचे दब जाता है। ब्लड शुगर का ग्लूकोज के साथ कोई सम्बन्ध नहीं है, कोलैस्ट्राल के साथ है। इन्सुलिन की साइकल वही इन्सुलिन बनायेगा जो पैंक्रियाज से निकलेगा।

हृदय रोग और मधुमेह दोनों कोलैस्ट्राल से होता है, अतः दोनो की एक ही दवा है। आँवला, अर्जुन छाल आदि ये सब कॉमन वस्तुएं हैं। जामुन की गुठली का पाऊडर + करेले की बीज का पाऊडर + नीम की निम्बोली का पाऊडर पीसकर मिला लें और 1 से डेढ़ चम्मच रोज सुबह शाम खाने से डेढ़ घण्टे पहले लें। भगवान की बनाई हुई सभी मीठी चीजों में फ्रक्ट्रोस होता है। जो आसानी से पच जाता है। आदमी की बनायी हुई सभी मीठी चीजों में शुक्रोस होता है जो आसानी से हजम नहीं होता है। गुड़ जितना गाढ़े रंग का होगा उतना ही अच्छा होगा और जितना हल्का रंग या सफेद रंग का होगा उतना ही खराब होगा। SYZYIEUMJAMBOLIM Q मदर टिंचर 15-20 बूंद चौथाई कप गुनगुना पानी में मिलाकर दिन में 3 बार लेना है सुबह, दोपहर, शाम। सुबह 9:30 बजे के पहले भरपेट खाना है। शाम को 7:00 बजे के पहले या सुर्यास्त के पहले सुबह के खाने का आधा खाना खाना है। दोपहर में चना या मुँगफली खाएं।

जिनका कोलैस्ट्राल बढ़ा हुआ है, उन्हीं को हृदयघात आने की सम्भावना होती है। थोड़ा चलने पर सांस फुलने लगती है। सीढ़ी चढ़े तो बिल्कुल पसीना पसीना हो जाते हैं।

लौकी का रस 1 गिलास में काली मिर्च, पुदीना और हरे धनिये का पत्ता मिलाकर सुबह और शाम तीन महीने तक खाली पेट पियें ।

डिब्बा बन्द तेल और रिफाइण्ड तेल कभी न खायें। सोयाबीन का तेल

कभी न खायें। सूरजमुखी का तेल कभी नहीं खाना चाहिए।

इस बीमारी में लहसुन का प्रयोग सर्वश्रेष्ठ है। खाने में पके रूप में और कच्चे रूप में भी ले सकते हैं।

कच्ची लौकी का रस थोड़ा हींग, जीरा, मिलाकर सुबह-शाम पीने से तत्काल लाभ मिलता है। लौकी की सब्जी भी खा सकते हैं।

अंगूर का रस नियमित लेने से काफी लाभ मिलता है। गुलकंद खाने से भी आराम मिलता है।

अदरक का रस निकालकर उसमें थोड़ा शहद मिलाकर चाटने से तत्काल आराम मिलेगा। हृदयघात के समय ठंडी चीजें कभी भी न दें।


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